हिमालय से निकलने वाली नदियाँ | Rivers Originating from the Himalayas
नदियाँ और मैदानी भाग, नदियाँ बारिश पर निर्भर हैं अत: इसके आयतन में उतार चढ़ाव होता है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ़ और ग्लेशियरों के पिघलने से बनी हैं अत: इनमें पूरे वर्ष के दौरान लगातार प्रवाह बना रहता है। मानसून के महीनों में हिमालय क्षेत्र में बहुत अधिक बारिश होती है| तटवर्ती नदियाँ, विशेषकर पश्चिमी तट पर, लंबाई में छोटी होती हैं और उनका सीमित जलग्रहण क्षेत्र होता है। इनमें से अधिकतर अस्थायी होती हैं। इनमें से अधिकतर अस्थायी प्रकृति की हैं। हिमाचल से निकलने वाली नदी की मुख्य प्रणाली सिंधु और गंगा नदी की प्रणाली की तरह है।
सिन्धु नदी | Indus River
सिन्धु नदी तिब्बत के मानसरोवर के निकट से निकलती है और भारत से होकर बहती है और उसके बाद पाकिस्तान से हो कर अंत में कराची के निकट अरब सागर में गिर जाती है। भारतीय क्षेत्र में बहने वाली इसकी सहायक नदियाँ में सतलज (जो कि तिब्बत से निकलती है), व्यास, रावी, चेनाब और झेलम है।
गंगा नदी | Ganga River
यह नदी भागीरथी और अलकनंदा का मिश्रण है जो देव प्रयाग में आकर मिलती है वही से ये नदी गंगा कहलाती है| यह नदी उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। राजमहल की पहाडियों के नीचे भागीरथी नदी, जो पुराने समय में मुख्य नदी हुआ करती थी, इसे पदमा के नाम से भी जाना जाता है जो कि बांग्लादेश में प्रवेश करते ही इसका नाम बदल जाता है।
गंगा नदी की सहायक नदियाँ | Tributaries of Ganga River
इसकी सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानदी, और सोन नदी है| चंबल और बेतवा भी महत्वपूर्ण उप सहायक नदियां हैं जो गंगा से मिलने से पहले यमुना नदी में मिलती है|
ब्रह्मपुत्र नदी | Brahmaputra River
ब्रह्मपुत्र तिब्बत से निकलती है, जहाँ इसे सांगपो कहा जाता है और लम्बी दूरी तय करते हुए भारत में यह अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है, यहाँ इसे दिहांग कहा जाता है। पासी घाट के निकट देबांग और लोहित के नजदीक ब्रम्हपुत्र नदी में मिल जाती है और यह संयुक्त नदी असम से होकर एक संकीर्ण घाटी में बहती है। यह पश्चिम बंगाल के धुबरी के पास प्राविहत होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है।
ब्रम्हपुत्र नदी की सहायक नदियाँ | Tributaries of Brahmaputra River
भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियाँ सुबसिरी, जिया भरेली, घनसिरी, पुथिभारी, पागलादिया और मानस हैं। बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र तिस्त आदि के प्रवाह में मिल जाती है और अंत में गंगा में मिल जाती है। मेघना की मुख्य नदी बराक नदी मणिपुर की पहाडियों में से निकलती है। इसकी महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ मक्कू, ट्रांग, तुईवई, जिरी, सोनई, रुक्वी, कचरवल, घालरेवरी, लांगाचिनी, महुवा और जातिंगा हैं। बराक नदी बांग्लादेश में भैरव बाज़ार के निकट गंगा-ब्रह्मपुत्र के मिलने तक बहती रहती है।
पश्चिम की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ – नर्मदा, ताप्ती आदि है।
पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ – गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, महानदी, आदि हैं
गोदावरी का दूसरी सबसे बड़ी नदी का द्रोणी क्षेत्र है जो भारत के क्षेत्र 10 प्रतिशत भाग है।
बराक नदी मणिपुर की पहाडियों में से निकलती है।
दक्षिण भारत की ज्यादातर सभी नदियाँ पूर्व की ओर बहती हैं|
राजस्थान में कुछ ऐसी नदियाँ है जो समुद्र में नहीं मिलती हैं। ये खारे झीलों में मिल जाती है और रेत में समाप्त हो जाती है, इसके अतिरिक्त कुछ मरुस्थल की नदियाँ होती है जो कुछ दूरी तक बहती हैं और मरुस्थल में लुप्त हो जाती है। ऐसी नदियों में लुनी और मच्छ, स्पेन, सरस्वती, बानस और घग्गर जैसी अन्य नदियाँ हैं।
उत्तर के विशाल मैदान | Vast Plains of the North
उत्तर विशाल मैदान का निर्माण मैदानी भागों पर मुख्यतः 3 प्रमुख नदियों सिन्धु, गंगा, ब्रह्मपुत्र के द्वारा जमा की गयी जलोढ़ मिट्टी के जमा होने से उत्तर के विशाल मैदान का निर्माण हुआ|
प्रादेशिक दृष्टि से उत्तरी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और असम तक फैला हुआ है| इन मैदान को पश्चिमी तथा पूर्वी दो भाग में बांटा जाता है।
पश्चिमी मैदान –
इसका अधिकांश भाग वर्तमान में पाकिस्तान के सिन्ध में पड़ता है, जबकि इसका कुछ भाग पंजाब व हरियाणा राज्यों में भी मिलता है। इसका निर्माण, सतजल, व्यास तथा रावी एवं इनकी सहायक नदियों द्वारा किया गया है।
पूर्वी मैदान –
इसका विस्तान उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल राज्यों में हैं, जिसका क्षेत्रफल 3.57 लाख वर्ग किमी. है। इस मैदान में धरातलीय भू-आकृति के आधार पर बांगर तथा खादर नामक दो विशेष भाग मिलते हैं।
बांगर –
प्राचीनतम संग्रहीत पुरानी जलोढ़ मिट्टी के उच्च मैदानी भाग हैं, जहाँ कभी नदियों की बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। बांगर प्रदेश भी उत्तर के विशाल मैदान की एक विशेषता है। यह प्रदेश पुरानी जलोढ़ मिट्टी का बना होता है जहां नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुंचता है। इस प्रदेश में चूनायुक्त संग्रथनों की अधिकता होने के कारण यह कृषि के लिए अधिक उपयुक्त नहीं होता है।
खादर –
इसकी गणना नवीनतम कछारी भागों के रूप में की जाती है। यहाँ पर प्रतिवर्ष बाढ़ का पानी पहुंचने एवं नयी मिट्टी का जमाव होने से काफ़ी ऊपजाऊ माने जाते हैं। खादर प्रदेश में नदियों की बाढ़ का जल प्रतिवर्ष पहुंचता है। इस प्रदेश का निर्माण नवीन जलोढ़ मिट्टी द्वारा होता है क्योंकि बाढ़ के जल के साथ नवीन मिट्टी यहां प्रति वर्ष बिछती रहती है। यह प्रदेश कृषि के लिए अत्यधिक उपयुक्त होती है। पंजाब में मिलने वाले खादर को ‘बेट’ कहा जाता है।
उत्तर के विशाल मैदान का प्रादेशिक विभाजन | Territorial Division of the Great Plains of the North
उत्तर के विशाल मैदानों में गंगा के मैदान को हरिद्वार से अलीगढ तक ऊपरी दोआब तथा अलीगढ़ से प्रयागराज तक मध्य दोआब के नाम से जाना जाता है। गंगा तथा यमुना दोआब के ऊत्तरी-मध्य उत्तर प्रदेश में स्थित भाग को रुहेलखंड के नाम से मैदान कहा जाता है। इस मैदान पर राम गंगा, शारदा तथा गोमती नदियाँ प्रवाहित होती है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी पूर्वी भाग में अवध का मैदान स्थित हैं,जहाँ घाघरा, राप्ती और गोमती नदियाँ बहती है। गंगा के मैदान के उत्तरी-पूर्वी भाग में असम तक ब्रह्मपुत्र नदी का मैदान स्थित है, जो कि गारो पहाड़ी, मेघालय पठार तथा हिमालय पर्वत के बीच लम्बे एवं पतले रूप में फैला है। इसकी चौड़ाई मात्र 80 किमी. है। ब्रह्मपुत्र नदी घाटी की संरचना से जमा किये गये अवसादों से इस मेदान में मियाण्डर, गोखुर झील का निर्माण हो गया है। इस मैदान के ढाल की दिशा दक्षिण-पश्चिम की ओर है तथा इसकी सीमा पर तराई एव अर्द्ध-तराई क्षेत्र मिलते हैं|
दोआब –
यह वह क्षेत्र है जहाँ पर दो नदियों के बीच का क्षेत्र पाया जाता है, दो नदियों के बीच का क्षेत्र होने के कारण यहाँ की भूमि बहुत उपजाऊ होती है|
उत्तर के विशाल मैदान से सम्बन्धित दो प्रमुख शब्दावलियाँ हैं – भावर तथा तराई । ये अवसादी जमाव की विशेषताओं की पहचान भी हैं।
डेल्टा –
गंगा का डेल्टा राजमहल की पहाड़ियों में सुंदरवन के किनारे तक 430 किमी की लम्बाई में इसका विस्तार है| चौड़ाई 480 किमी है। सिंधु नदी का डेल्टा 960 किमी लम्बा और 160 किमी चौड़ा है। उत्तर विशाल के मैदानों में गंगा और सिन्धु नदी के डेल्टा पाए जाते हैं|