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पर्यावरण अर्थ एवं परिभाषा
पर्यावरण शब्द दो शब्दों के मेल परि+आवरण से बना हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ यह है कि चारों ओर से घिरा हुआ तथा वह क्षेत्र जो किसी जीवधारी के चारो ओर विस्तृत है|
पर्यावरण समस्त जैविक एवं अजैविक कारकों के समग्र प्रभाव का योग है जो सभी सजीवों को प्रभावित करता है इसमें भौतिक व रासायनिक कारक (जैसे-जल, वायु, मृदा, प्रकाश, अग्नि, ताप और भौगोलिक स्थिति) तथा जैविक कारक (जैसे- सूक्ष्म जीव, पेड़ पौधे और जीव जन्तु) सम्मिलित किये जाते हैं|
जैविक घटक – इसके अंतर्गत जन्तु, वनस्पति तथा सूक्ष्म जीव सम्मिलित होते हैं|
अजैविक घटक – इसके अंतर्गत स्थलमण्डल, वायुमंडल तथा जलमण्डल को सम्मिलित किया जाता है|
पर्यावरण प्रकृति में किसी जीव के लिए वह उपयुक्त वातावरण है, जिसमे वह जीवित रह सके, विकास कर सके एवं अन्य जीवों के साथ पारस्परिक क्रियाएं व् अन्तर्सम्बन्ध बनाये रख सकें|
See Also: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी (Environment and Ecology)
पर्यावरण की सरंचना | Structure of Environment
- जैविक पर्यावरण (Biotic Environment)
- भौतिक पर्यावरण (Physical Environment)
जैविक पर्यावरण | Biotic Environment
पादप (Plant) – हरे पादप प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से भोजन का निर्माण करके तथा भूमि से विविध पोषक तत्वों को ग्रहण कर जैवमण्डल में खाद्य शृंखला को ऊर्जा प्रवाहित करते हैं| अपना भोजन स्वयं निर्मित करने के कारण पादपों को स्वपोषी कहा जाता है|
जीव (Organism) – जीव स्वपोषी एवं परपोषी दोनों प्रकार के होते हैं लेकिन अधिकांश जीव परपोषी होते हैं| स्वपोषी जीव अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं, जैसे – साइनोबैक्टीरिया पर्णहरित की उपस्थिति में अपने भोजन का निर्माण स्वयं करता है|
पोषण श्रोत के आधार पर जीवों को तीन वर्गों में बांटा जा सकता है –
- मृतजीवी : इस वर्ग के जीव मृत जीवों एवं वनस्पतियों से भोजन प्राप्त करते हैं जैसे कवक , बैक्टीरिया|
- परजीवी : इस वर्ग के जीव पोषण हेतु अन्य जीवों पर निर्भर होते हैं जोक, खटमल आदि|
- प्राणी समभोजी : इस वर्ग के जीव अपना भोजन ठोस अथवा तरल रूप में मुँह से ग्रहण करते हैं जैसे मनुष्य, कुत्ता, भालू, बन्दर आदि|
सूक्ष्म जीव (Micro Organism) – सूक्ष्म जीव, जिन्हे अपघटक कहते हैं पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर में उपस्थित कार्बनिक यौगिकों का अपघटन करते हैं तथा उन्हें सरल यौगिकों में विघटित कर अन्य जीवों एवं पौधों हेतु सुलभ बनाते हैं| सूक्ष्म जीवों में बैक्टीरिया तथा कवक शामिल होते हैं|
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भौतिक पर्यावरण | Physical Environment
भौतिक पर्यावरण के अन्तर्गत स्थलमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल तथा ऊर्जा संघटकों को शामिल किया जाता है| हमारे चारो ओर का वातावरण वायु, प्रकाश, ताप, जल, मृदा आदि कारकों से निर्मित है|
1 . मृदा (Soil) – मृदा का निर्माण पृथ्वी की मूल शैलों के अपक्षय, अपरदन एवं पदार्थों के निक्षेपण के द्वारा होता है| मृदा स्थलमण्डलीय उपसंघटक है, जो खनिज एवं रासायनिक रूप से अपघटित कार्बनिक पदार्थों से निर्मित होती है|
2 . वायुमण्डल (Atmosphere) – वायुमण्डल एक बहुस्तरीय गैसीय आवरण है जो पृथ्वी को चारो ओर से घेरे हुए है वायुमण्डल पृथ्वी से उसके गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा जुड़ा रहता है|
- वायुमंडल के सम्पूर्ण द्रव्यमान का 99% भाग पृथ्वी की सतह से 32 कि. मी. की ऊंचाई तक ही पाया जाता है तथा वायुमण्डल की इसी परत में अधिकांश मौसमी या जलवायविक परिवर्तन घटित होते हैं|
- वायुमण्डल विभिन्न गैसों का मिश्रण है, जिनका वायुमण्डल के निचले सस्तरों में अपेक्षाकृत एक समान रहता है | शुद्ध वायु में नाइट्रोजन 78%, ऑक्सीजन 21%, ऑर्गन 0.9%, कार्बनडाइऑक्सइड 0.3%, तथा हाइड्रोजन, हीलियम व ओजोन भी कम मात्रा में पायी जाती है|
- उपर्युक्त गैसों के अतिरिक्त कुछ अन्य गैसें भी होती हैं जो पेड़ पौधों के अपघटन से वातावरण में निर्मुक्त होती हैं जैसे – सुल्फर-डाइ-ऑक्सइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, अमोनिया, मीथेन आदि|
- वातावरण में विभिन्न गैसों का चक्रण वायुमण्डल के कारण ही संभव होता है वायु पौधों के सूक्ष्म छिद्र को खोले रखने में सहायता करती है जिससे वे प्रकाश संश्लेषण एवं श्वसन की क्रिया सुचारु रूप से कर पाते हैं|
- जल स्रोतों के वाष्पीकरण एवं पेड़ पौधों के वाष्पोत्सर्जन से वायुमण्डल की निचली परत में जलवाष्प भी पायी जाती है| वायु में धूल, पराग आदि के ठोस कण भी पाए जाते हैं|