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पुनर्जागरण की विशेषताएँ | Features of the Renaissance
- मानवतावाद पुनर्जागरण की सर्वाधिक प्रमुख विशेषता है| जिसे पुनर्जागरण का मूल आधार भी कहा जा सकता है|
- ग्रीक वैज्ञानिक पाइथागोरस ने कहा था कि मानव ही सभी वस्तुओं का मापदंड है इसी से मानवतावाद को परिभाषित किया जा सकता है|
- जीवन की समस्त गतिविधियाँ चाहे वह राजनीतिक क्षेत्र में हो या सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र की सभी का केंद्र बिन्दु मानव है|
- रोजर बेकन ने अरस्तू की प्रधानता का विरोध किया और तर्कवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया| इससे मानवतावाद का विकास हुआ मानवतावादियों ने चर्च और पादरियों कट्टरपंथी की आलोचना की|
- मानवतावाद के सम्बन्ध में यूरोप की मध्यकालीन सभ्यता कृत्रिमता और कोरे आदर्श पर आधारित थी, यूरोप के विश्वविद्यालयों में यूनानी दर्शन का अध्ययन होता था|
पुनर्जागरण के तत्व | Elements of the Renaissance
- जिज्ञासा एवं खोजी दृष्टि का उदय
- साहसिक मनोभावों का उदय
- व्यक्तिवाद
- मानवतावाद
- पंथनिरपेक्षता
- आत्म-चेतना
मानवतावादी विचारकों की एक विशेष परंपरा भी रही है, जिसमे प्लेटो, अरस्तू, वर्जिल, सिसरो, पेट्रार्क आदि महत्वपूर्ण हैं| इनमें फ्रांसेस्को पेट्रार्क को मानवतावाद का पिता कहा जाता है|
आधुनिक शिक्षा | Modern Education
- शिक्षा और साहित्य पर पुनर्जागरण का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था नई शिक्षा पद्धति में व्याकरण, वतृता, कविता, नीति और इतिहास जैसे विषय शामिल हुए|
- यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों की स्थापना होने लगी, स्पेन के विश्व प्रसिद्ध कार्डोवा विश्विद्यालय ने यूरोप में नवीन विचारों का प्रचार प्रसार किया|
छपाई | Printing
15वीं शताब्दी के मध्य में जर्मनी की गुटेनबर्ग नामक व्यक्ति ने प्रिंटिंग प्रेस का अविष्कार किया और फिर धीरे-धीरे इटली, जर्मनी, स्पेन और फ्रांस में इस यन्त्र का प्रयोग होने लगा| कागज और मुद्रण तकनीक के विकास ने ज्ञान पर विशिष्ट लोगों के एकाधिकार को समाप्त कर दिया|
धर्मनिरपेक्षता का प्रारम्भ | Beginning of Secularism
- धर्मनिरपेक्षता से तात्त्पर्य है कि धार्मिक आडम्बरों और अंधविश्वासों को दूर करना तथा मनुष्य के जीवन को धर्म के नियंत्रण से मुक्त कर सांसारिक जीवन पर बल देना|
- पुनर्जागरण काल में लोगों के जीवन पर धर्म का नियंत्रण कमजोर होने लगा| इसी का विकसित स्वरुप धर्म-सुधार आंदोलनों में देखा जा सकता है|
पुनर्जागरण का प्रभाव | Effect of Renaissance
पुनर्जागरण से आधुनिक विश्व के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ| पुनर्जागरण मानव के बौद्धिक एवं सांस्कृतिक महान यात्रा का प्रारम्भ था जो बाद में धर्म सुधार आंदोलन तथा प्रबोधन के माध्यम से और अधिक सशक्त हुई| पुनर्जागरण ने मानव को साधन से साध्य बनने में महत्वपूर्ण योगदान दिया|
आर्थिक प्रभाव | Economic Impact
- वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति ने औद्योगीकरण के नए युग का आधार तैयार किया|
- मध्ययुगीन गिल्ड व्यवस्था (शिल्पियों की श्रेणी) के स्थान पर पूँजीवादी व्यवस्था का आगमन हुआ|
राजनीतिक प्रभाव
- सामंती व्यवस्था के स्थान पर राजा के पास सर्वोच्च शक्ति का होना, इससे एक राष्ट्रीय राजतन्त्र का विकास प्रारम्भ हुआ |
- पुनर्जागरण के परिणामस्वरूप राजनीतिक दृष्टि से यूरोप में सामंतवाद का पतन हुआ तथा शक्तिशाली राष्ट्रों का उदय हुआ|
- पुनर्जागरण के कारण यूरोप के निवासियों में राष्ट्रीयता की भावना का संचार हुआ, देशी भाषाओं की उन्नति के कारण इस प्रक्रिया में बहुत सहायता मिली|
- राजनीतिक कार्यों में पोप का हस्तक्षेप अनुचित बताया गया| मैक्यावेली ने द प्रिंस नामक पुस्तक में आधुनिक राजव्यवस्था के चिंतन की शुरुआत की|
सामाजिक प्रभाव | Political Influence
- वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के कारण समाज के लोगों में व्यक्तिगत सामर्थ्य एवं योग्यता पर बल दिया जाने लगा|
- पुनर्जागरण के साथ साथ नागरिक जीवन का महत्त्व बढ़ने लगा, समाज में नए विषयों का प्रसार होने से व्यक्ति अधिक शिक्षित एवं जागरूक होने लगा|
- कुलीन वर्गों के विशेषाधिकार के विरोध में आवाज उठने लगी| सामाजिक संस्थाओं और मूल्यों में मौलिक परिवर्तन होने लगा
धार्मिक प्रभाव | Religious Influence
- बौद्धिक पुनर्जागरण का प्रभाव मनुष्य के धार्मिक जीवन पर पड़ने लगा और अब सामान्य लोग भी धर्म के सच्चे स्वरुप को समझने में समर्थ हो गये|
- इस काल में अन्धविश्वास, आस्था, पादरी वर्ग का जीवन एवं चर्च की गतिविधियों की आलोचनात्मक व्याख्या की जाने लगी| धीरे-धीरे चर्च का एकाधिकार टूटने लगा|
- विरोधों और आलोचनाओं के पश्चात् कैथोलिक चर्च में कुछ सुधार हुए, नए सम्प्रदाय भी उभरकर सामने आये जो अपेक्षाकृत अधिक उदार आडम्बरहीन और तर्कसंगत थे|
सांस्कृतिक प्रभाव | Cultural Influence
- पुनर्जागरण की लौकिक भावना की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति साहित्य में होती है| इटली में साहित्य के क्षेत्र में दांते, पेट्रार्क और बुकासियो का नाम सबसे पहले है|
- दांते को (1265-1321 ई) को पुनर्जागरण काल का प्रथम व्यक्ति कहा जाता है|
- मैक्यावेली को आधुनिक चाणक्य भी कहा जाता है|
- पेट्रार्क के शिष्य जियोवानी बोकासियो को इटली गद्य का पिता भी कहा जाता है| बोकासियो की प्रमुख कृति डेकामेरॉन यह 100 कहानियों का संग्रह है| अपनी कहानियों के माध्यम से इन्होंने मानवता और दया का सन्देश दिया है