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Vadilal आइसक्रीम का इतिहास | History of Vadilal Ice Cream
1926 में उनके बेटे ने इस बिज़नेस में उनका हाथ बंटाना शुरू कर दिया. रणछोड़ लाल गांधी ने इसी साल आइसक्रीम बनाने के लिए मशीनें लगवाई. उन्होंने 1926 में Vadilal का पहला आइसक्रीम आउटलेट भी ओपन किया था. अब स्वाद ज़्यादा लोगों तक पहुंचने लगा था, तो इसके आउटलेट तो बढ़ाने ही थे| इस कंपनी का ऑफिस गुजरात के अहमदाबाद में हैं। इस कंपनी के मालिक दिवगंत रामचंद्र गांधी थे जो की अब इनके बच्चे और भतीजे इसे चलते हैं|
वाडीलाल की स्थापना कैसे हुयी | How Vadilal Was Founded
वाडीलाल की स्थापना कैसे हुयी | हाउ वाडीलाल वास् वाडीलाल गांधी ने पहले सोडा बेचने का कारोबार शुरू किया लेकिन ये धंधा ज्यादा दिन चला नहीं और इसे बंद करना पड़ा| तभी इनके मन में में आइसक्रीम का करोबार शुरू करने का विचार आया और इन्होंने वाडीलाल आइसक्रीम की शुरुआत 1907 में की जब आइसक्रीम इंडस्ट्री नाम की कोई चीज़ ही नहीं थी| वाडीलाल गांधी अपने हाथों से आइसक्रीम बनाकर बेचते थे , अहमदाबाद में वो कोठी तकनीक से हाथ द्वारा आइसक्रीम बनाकर लोगों तक पहुंचाते थे|
कैसे बढ़ा वाडीलाल का कारोबार | How Vadilal’s Business Grew
कंपनी धीरे-धीरे अपने कारोबार को मार्केट में फैला रही थी. तब 1950 में इन्होंने मौक़ा देखते ही अपनी कसाटा फ्लेवर की आइसक्रीम को मार्केट में उतारा. देखते ही देखते उनका ये फ़्लेवर लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हो गया| अब यह आइसक्रीम कंपनी की गिनती देश के बड़ी नामी कंपनियों में होने लगी थी| 1985 आते-आते इसके भारत में कई आउटलेट खुल गए थे. अब कंपनी विदेशी मार्केट में भी उतरने को तैयार थी, सो इन्होंने आइसक्रीम के साथ ही प्रोसेस्ड फ़ूड भी बनाना शुरू कर दिया.
1991 में Vadilal Quick Treat नाम से इसके फ्रोज़न स्प्राउट, सब्ज़ियां, फ़्रूट मिठाई और रेडी टू कूक इंडियन फ़ूड बाज़ार में आए. इसका देश-विदेश में सफ़ल होने का प्रमुख कारण था इस आइसक्रीम का वेजिटेरियन होना| कम्पनी ने शुरू से ही अपने प्रचार में इस बात पर जोर दिया, कंपनी का दावा है कि उपवास में भी इस आइसक्रीम को खा सकते है. इसलिए वेजिटेरियन लोगों के बीच ये काफ़ी फ़ेमस हुई|
भारत की सबसे पुरानी आइसक्रीम कम्पनी कैसे बनी | How India’s Oldest Ice Cream Company
भारत की सबसे पुरानी आइसक्रीम कम्पनी Vadilal को कौन नहीं जानता| यहां तक कि जब भारत में विदेशी आइसक्रीम की कंपनियां मार्केट में आयी तब भी इस पर लोगों का भरोसा कायम रहा| अमेरिका में रहने वाले भारतीयों का ये पसंदीदा ब्रैंड हैं, देश में पहली ऑटोमेटिक कैंडी लाइन और सबसे तेज़ आइसक्रीम कोन बनाने वाली मशीन लाने का श्रेय भी वाडीलाल को जाता है| Vadilal की बरेली और पुंढरा की फ़ैक्ट्री में आइसक्रीम बनाने का काम होता है. प्रोसेस्ड फ़ूड गुजरात के धर्मपुर वाले प्लांट में बनाए जाते हैं| वक़्त के साथ वाडीलाल ने ख़ुद को बदला इसलिए तो ये आज देश और दुनिया में रहने वाले लाखों लोगों सहित भारतीयों का पसंदीदा आइसक्रीम ब्रैंड है.
दुनिया की सबसे महँगी आइसक्रीम कौन सी है | Most Expensive Ice Cream in World
स्ट्रॉबेरी अरनॉड दुनिया की सबसे महंगी आइसक्रीम है, जिसकी कीमत 1.4 मिलियन डॉलर है। इसकी रेसिपी में स्ट्रॉबेरी, क्रीम, वाइन, मसाले, पुदीना और वेनिला आइसक्रीम जैसी सामग्रियां मौजूद होती हैं। ये आइसक्रीम न्यू ऑरलियन्स में अरनॉड के रेस्टोरेंट में सर्व की जाती है।
कैसे पड़ा इसका नाम आइसक्रीम
क्रीम आइस”, जैसा कि इसे कहा जाता था, 17 वीं शताब्दी के दौरान चार्ल्स प्रथम की मेज पर नियमित रूप से दिखाई देता था। फ्रांस के हेनरी द्वितीय की पत्नी बनने पर इतालवी कैथरीन डी मेडिसी द्वारा 1553 में फ्रांस को इसी तरह के जमे हुए डेसर्ट के लिए पेश किया गया था। यह 1660 तक नहीं था कि आइसक्रीम आम जनता के लिए उपलब्ध कराई गई थी।
आखिर किन कारणों से ये बिकने के कगार पर है
भारत का सबसे पुराना आइसक्रीम ब्रैंड बिकने की कगार पर है। अहमदाबाद की 8 दशक पुरानी कम्पनी वाडीलाल पर गांधी परिवार का मालिकाना हक है। वाडीलाल से कम्पनी के प्रमोटर्स पूरी तरह से निकलने की सोच रहे हैं। फ्रोजेन फूड सेगमेंट में वाडीलाल के पास सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी है।
इस कम्पनी के मालिक दिवगंत रामचंद्र गांधी थे जो अब उनके बच्चे और भतीजों के बीच विवाद पैदा हो गया है| पारिवारिक विवादों का ग्रहण लगने से अब यह कम्पनी बिकने की कगार पर पहुंच गयी है। दिवगंत रामचंद्र गांधी के बच्चों और भतीजे के बीच विवाद की वजह 1999 में परिवार के सदस्यों के बीच हुआ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) है। इसके मुताबिक, रामचंद्र के बड़े बेटे वीरेंद्र और राजेश और उनके भाई लक्ष्मण के बेटे देवांशु को वाडीलाल ग्रुप की कंपनियों में बराबर की हिस्सेदारी दी गई थी। इसमें अनलिस्टेड वाडीलाल केमिकल्स भी शामिल है। वीरेंद्र गांधी ने 2015 में कंपनी लॉ बोर्ड में जो याचिका दायर की थी, एमओयू उसका भी हिस्सा था। इसके मुताबिक, इन बिजनस पर संयुक्त मालिकाना हक रहेगा और कोई भी पार्टी सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर किसी लिस्टेड कंपनी या पार्टनरशिप फर्म में बिना लिखित सहमति के हिस्सेदारी नहीं बढ़ा सकती।
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