पुनर्जागरण का अर्थ | Meaning of Renaissance
फिर से जागना या पुनः जागरण, पुनर्जागरण का शाब्दिक अर्थ है| प्राचीन सभ्यता के विकास में इसका सम्बन्ध 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुई, जो प्राचीन यूनानी और रोमन सभ्यता व संस्कृति से प्रभावित थी| Renaissance फ्रेंच भाषा का एक शब्द है|
पुनर्जागरण का कारण | Cause of Renaissance
सामंतवाद के पतन की शुरुआत होते ही पुनर्जागरण के तत्वों को बढ़ने का मौका मिला, क्यों कि सामंतवाद के रहते हुए तत्कालीन रूढ़िवादी व्यवस्था में किसी प्रकार का बौद्धिक, सांस्कृतिक परिवर्तन संभव नहीं था|
राष्ट्र राज्यों का गठन इसका उदय 15वीं सदी में सामंतवाद के पतन से सम्बंधित है| राष्ट्र राज्यों के विकास ने सामंतवाद को कमजोर करने के लिए पुनर्जागरणवादी तत्वों को बढ़ावा दिया, क्यों कि पुनर्जागरण सामंतवाद के टूटने से राष्ट्र राज्य अधिक सशक्त हुए|
पुर्जागरण के समय में ही प्रिंटिंग प्रेस भी विकसित हुई जिसे गुटेनबर्ग द्वारा प्रिंटिंग का अविष्कार आदि जो की सन 1430 ई. में हुयी|
- पुनर्जागरण की चेतना ने समुद्री रास्तों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, और नए नए देशों की खोज करने में भी इसकी भूमिका रही है|
- 1487 ई. में बार्थोलोम्यू डियाज अफ्रीका के तट पर पहुँचा जिसे केप ऑफ गुड होप या उत्तमाशा अन्तरीप का नाम दिया गया|
- 1492 ई. में क्रिस्टोफर कोलम्बस ने नई दुनिया अमेरिका की खोज की|
- 1498 ई. में वास्कोडिगामा केप ऑफ गुड होप के रास्ते से भारत पहुँचा था|
इन भौगोलिक खोजों ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया तथा उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद का आधार तैयार किया|
- विशाल मंगोल साम्राज्य के दरबार में एशिया और यूरोप के मध्य संपर्क स्थापित होने से भी पुनर्जागरण को प्रेरणा मिली| मंगोल दरबार में जाने वाले व्यक्तियों में वेनिस निवासी मार्कोपोलो का नाम प्रसिद्ध है|
- अरबों से प्राप्त ज्ञान को आधार मानकर यूरोप के विद्वानों ने अरस्तू के दर्शन अध्ययन पर सबसे अधिक बल दिया अरबी ज्ञान से प्रभावित होकर उन्होंने एक नई विचार पद्धति चलायी जिसे पंडित-पंथ कहते हैं|
- पंडितपंथी विचार पद्धति में अरस्तू के दर्शन की प्रधानता थी, लेकिन 13वीं सदी के प्रसिद्ध विचारक रोजर बेकन ने इसका विरोध किया|
- बेकन ने कहा – यदि मेरा बस चलता तो मई अरस्तू के सरे ग्रंथों को आग में जला देता, क्यों कि इसके अध्ययन से एक बड़ा समय नष्ट होता है और दूसरे मिथ्या विचारों के उदय होने के कारण अज्ञानता में वृद्धि होती है|
- कुस्तुनतुनिया के पतन ने यूरोपीय व्यापारिक मार्ग को नष्ट कर दिया, यह यूरोपीय और पूर्वी देशों को जोड़ने वाली कड़ी थी| 15वीं शताब्दी में मैग्नेटिक कम्पास की खोज हुयी जिससे बड़े जहाजों को निर्माण होना था|
पुनर्जागरण के लक्षण | Signs of Renaissance
- परम्परा एवं आधुनिकता का समन्वय
- पुनर्जागरण मनुष्य का बौद्धिक विकास करते हुए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को तर्क की कसौटी पर रखकर देखने की दृष्टि विकसित की है|
- इसके माध्यम से व्यक्तिवाद एवं आलोचनावाद को महत्त्व दिया|
- पारलौकिक के स्थान पर सांसारिक जीवन को केंद्र में लाया गया|
- सार्वभौमिकता एवं तर्क बुद्धिवाद का उद्भव एवं विकास हुआ|
- यथार्थ एवं सौंदर्यपूर्ण अभिव्यक्ति को महत्त्व दिया गया|
- इस समय दर्शन एवं चिंतन के केंद्र में ईश्वर के बजाय मानव एवं प्रकृति को प्रमुखता दी जाने लगी|
पुनर्जागरण का जन्म | Birth of the Renaissance
इटली से पुनर्जागरण आरम्भ होने का कारण
- इटली की भौगोलिक स्थिति|
- रोम में प्राचीन रोमन सभ्यता का केंद्र होना|
- सामंतवाद का पतन|
- इटली में विकसित नई सामाजिक सरंचना|
- कुछ पोप द्वारा पुनर्जागरण का समर्थन|
- इटली में हुआ सांस्कृतिक विकास|
- शिक्षा का व्यवसायीकरण, रूढ़िवादिता की समाप्ति एवं तर्क व विज्ञानवाद का प्रसार|
- धर्म आधारित साहित्य के स्थान पर मानव आधारित साहित्य की रचना|
- कुस्तुनतुनिया के पतन के बाद वहाँ के विद्वानों का इटली की ओर पलायन|
इटली भूमध्य सागर के केंद्र में अवस्थित है इस अवस्थिती के कारण यह यूरोपीय व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र भी था|
प्राचीन रोमन साम्राज्य | Ancient Roman Empire
रोम इटली का ही एक नगर था इसलिए प्राचीन रोमन साम्राज्य के अवशेष इटली में बिखरे पड़े थे| ईसाई धर्म का केंद्र और पोप का निवास स्थल रोम ही था, इटली में रोम के वेटिकन नामक स्थान पर पोप का निवास स्थान होने के कारण तथा पोप ईसाई धर्म का प्रधान भी था| पोप ने ही पुनर्जागरण की भावना से प्रेरित होकर विद्वानों तथा कला साहित्य को सरंक्षण प्रदान किया| पोप निकोलस पंचम ने वेटिकन पुस्तकालय की स्थापना की और सेंट पीटर के गिरजाघर को बनवाया|
कुस्तुनतुनिया के पतन के घटना के बाद और कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों के अधिकार के पश्चात वहाँ के अधिकतर ग्रीक रोमन विद्वान कुस्तुनतुनिया को छोड़कर इटली के विभिन्न शहरों में बसे| इटली के अनेक विद्वानों जैसे – दांते, पेट्रार्क, गियाटो, लियोनार्डो डा विंची की जनस्थली रहा| दांते ने डिवाइन कॉमेडी नामक ग्रन्थ लिखकर स्वतंत्रता तथा व्यक्तिवाद की भावना पर बल दिया|