बिहार एक परिचय | Bihar An Introduction | Bihar ka Parichay
बिहार भारत का एक पूर्वी राज्य है जो एक गौरवशाली अतीत से समृद्ध है| यह अनेक शताब्दियों तक सत्ता, शिक्षा एवं संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है| यह भूमि प्राचीन मगध साम्राज्य का केंद्र नन्द, मौर्य एवं गुप्त आदि राजवंशों की राज्यस्थली तथा चन्द्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार, अशोक एवं समुद्रगुप्त आदि महान शासकों की कर्मभूमि रहा है|
नालंदा एवं विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों के माध्यम से यह शिक्षा का वैश्विक केंद्र रहा है| बुद्ध, महावीर, कौटिल्य एवं आर्यभट्ट आदि महान विभूतियों की इस भूमि ने भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है|
बिहार, विहार शब्द अपभ्रंश है जिसका अर्थ होता है निवास| बिहार में ही महात्मा बुद्ध का ज्ञान प्राप्ति स्थल तथा बौद्ध धर्म का जन्मस्थान है बौद्ध धर्म के प्रसार के समय यहाँ बड़ी संख्या में बौद्ध विहारों का निर्माण हुआ जहाँ पर बौद्ध भिक्षु निवास करते थे|
बिहार भौगोलिक रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के मध्य स्थित है| बिहार उत्तर में नेपाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा एवं दक्षिण में झारखण्ड के साथ अंतर्राज्यीय सीमा बनता है|
बिहार का गठन कब हुआ | व्हेन
12 दिसम्बर 1911 को दिल्ली में आयोजित शाही दरबार में बिहार एवं ओड़िसा के क्षेत्रों को बंगाल से अलग कर नए प्रान्त के रूप में गठित करने की घोषणा की गई| इसके साथ 1 अप्रैल 1912 को अलग प्रान्त के रूप में बिहार (जो की उस समय यह उड़ीसा में था) राज्य की स्थापना हुई, 22 मार्च 1912 को अलग प्रान्त बनाने की अधिसूचना जारी की गई इसके फलस्वरूप बिहार में प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है|
1 अप्रैल 1936 को बिहार ओड़िशा राज्य से अलग हो गया|
15 नवम्बर 2000 को बिहार के दक्षिणी भाग के 46% भू-भाग को अलग कर भारत के 28वें राज्य के रूप में झारखण्ड राज्य का निर्माण किया गया| झारखण्ड से अलग होने के बाद शेष बिहार ही बिहार का वर्तमान स्वरुप है|
बिहार के राजकीय प्रतीक | State Emblem of Bihar
बिहार का राजकीय चिन्ह बोधि वृक्ष है|
बिहार का राजकीय पशु बैल है|
बिहार का राजकीय पक्षी गौरैया है|
बिहार का राजकीय मछली देशी मांगुर है|
बिहार का राजकीय पुष्प गेंदा फूल है|
बिहार का राजकीय वृक्ष पीपल है|
बिहार का इतिहास क्या है | What is the History of Bihar | Bihar ka Itihas kya hai
बिहार का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना भारत में मानव सभ्यता का प्रारम्भ| वेदों, पुराणों ब्रम्हाणग्रन्थों जैसे धार्मिक साहित्य तथा विभिन्न यात्रा वृत्तांतों, संस्मरणों आदि गैर धार्मिक साहित्यों में किया गया है| बिहार के समृद्ध इतिहास एवं भारतीय इतिहास में बिहार का महत्वपूर्ण स्थान होने का प्रमाण देते हैं|
सबसे पहले ऋग्वेद में बिहार क्षेत्र का उल्लेख मिलता है, जहाँ इनके लिए कीकट या किरात शब्द का प्रयोग किया गया है| अथर्ववेद एवं पंचविश में भी प्राचीन बिहार का वर्णन मिलता है, जिसमे इस क्षेत्र के निवासियों के लिए व्रात्य शब्द का प्रयोग किया गया है|
बिहार में मुंगेर से पुरापाषाण एवं मध्य पाषाणकालीन छोटे उपकरण प्राप्त हुए हैं| चिराँद (सारण), चेचर (वैशाली), मनेर (पटना) सोनपुर (सारण) तथा सेनुआर (रोहतास) से ताम्र-पाषाण युगीन वस्तुएँ एवं मृदभांड प्राप्त हुआ|
बिहार में आर्यों का आगमन | Aryan Arrival in Bihar | Bihar mei Ary
बिहार में आर्यों का आगमन 1000 ई पू से 600 ई पू के बीच मन जाता है| अथर्ववेद की रचना के बाद आर्यों ने बिहार के क्षेत्रों में प्रवेश किया परन्तु आर्यों के सांस्कृतिक वर्चस्व की शुरुआत ब्राम्हण ग्रंथों की रचना के समय हुई|
वैदिक कालीन महत्वपूर्ण ग्रन्थ शतपथ ब्राम्हण में गांगेय घाटी के क्षेत्र में आर्यों द्वारा जंगलों को जलाकर तथा काटकर साफ़ करने की चर्चा की गई है|
शतपथ ब्राम्हण में विदेह माधव की वर्णन है : जिस्मे माधव अपने पुत्र गौतम राहुगण के साथ अग्नि का पीछा करते हुए सदानीरा (गंडक नदी) पहुंचे इस प्रक्रिया ने जंगलों को नष्ट कर दिया जिससे इन क्षेत्रों में आर्यों को बसने में सहायता मिली|
भारत में सबसे पहले लगभग 600 ई पू में संगठित राज्यों की स्थापना हुयी जिसे महाजनपद कहा गया| प्राचीनकाल में 16 महाजनपदों की स्थापना हुई| जिनमें से 3 महाजनपद मगध, वज्जि अंग बिहार में स्थित थे| भगवती सूत्र में विरुद्ध मगध साम्राज्य के द्वारा उपयोग में लाये गए अस्त्रों-शस्त्रों का उल्लेख किया गया है|
बिहार में आये हुए विदेशी यात्रियों में मेगस्थनीज,फाह्यान और व्हेनसांग आदि प्रमुख हैं| मेगस्थनीज अपनी भारत यात्रा का विवरण इण्डिका नामक पुस्तक में किया है, यूनानी यात्री मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर का दूत बनाकर आया था| चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में एक चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था| एक अन्य चीनी यात्री व्हेनसांग, हर्षवर्धन के समय भारत के यात्रा पर आया था, जिसने अपनी यात्रा वृत्तांत में नालंदा विश्वविद्यालय के विषय में विस्तृत वर्णन किया है