NATO क्या है | What is NATO | NATO Kya Hai
NATO उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) (NATO ATLANTIC TREATY ORGANIZATION) सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा 4 अप्रैल, 1949 की उत्तरी अटलांटिक संधि (जिसे वाशिंगटन संधि भी कहा जाता है) द्वारा स्थापित एक सैन्य गठबंधन है। वर्तमान में इसमें 30 सदस्य राज्य शामिल हैं हाल ही में यह रूस और यूक्रेन युद्ध में चर्चा में आया| इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में अवस्थित है| इस संगठन का उद्देश्य यह है कि सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाना और युद्ध की आपात स्थिति में इस संगठन से जुड़े देशों की एक दूसरे की सहायता करना| इसकी आधिकारिक भाषा फ्रांसीसी और अंग्रेजी है|
नाटो (NATO) में शामिल होने वाले देश | Countries Joining NATO
1949 में शामिल होने देश – कनाडा, फ्रांस, डेनमार्क, बेल्जियम, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, इटली, नार्वे, यूनाइटेड किंगडम, पुर्तगाल, यूनाइटेड स्टेट|
1952 में शामिल होने देश – ग्रीस, तुर्की
1955 में शामिल होने देश – जर्मनी
1982 में शामिल होने देश – स्पेन
1999 में शामिल होने देश – हंगरी, चेक गणराज्य, पोलैण्ड
2004 में शामिल होने देश – एस्तोनिया, बुल्गारिया, लातविया, स्लोवाकिया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवेनिया
2009 में शामिल होने देश – अल्बानिया, क्रोएशिया
2017 में शामिल होने देश – मॉन्टेनीग्रो
2020 में शामिल होने देश – नॉर्थ मर्सेडोनिआ
नाटो बनाने की जरुरत क्यों पड़ी | Why Need to Create NATO | NATO ki Jarurat Kyu
- सोवियत संघ ने साल 1948 ई. में बर्लिन पर कब्जा किया, तो पश्चिमी यूरोपीय देशों में डर फैल गया। इन देशों की सुरक्षा के लिए अमेरिका के नेतृत्व में NATO का गठन किया गया। इसका उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की विचारधारा को रोकने के लिए बनाया गया था|
- नाटो की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हहुई क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध में रूस और उसके साथियों की विजय तो हुई लेकिन पूर्वी यूरोपीय देशों को सोवियत संघ के आक्रमण का खतरा मंडराने लगा जिसके कारण नाटो की स्थापना की गई|
- नाटो के सभी सदस्यों की संयुक्त सैन्य खर्च दुनिया के रक्षा व्यय का 70% से अधिक है, जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका अकेले दुनिया का कुल सैन्य खर्च का 50% हिस्सा खुद वहन करता है और ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली 15% ही खर्च करते हैं।
- नाटो सदस्य देशों में फ्रांस इकलौता ऐसा देश है जो इस संगठन में शामिल होने के बाद 1966 में बाहर हो गया था और उसके बाद 2009 में पुनः वापस शामिल हो गया था|
- नाटो के पहले महासचिव लार्ड इश्मे बने थे
इस संगठन का प्रभाव | Impact of the Organization | NATO Ka Prabhav
- पश्चिमी यूरोप की सुरक्षा के तहत बनाए गए नाटो संगठन ने पश्चिमी यूरोप के एकीकरण को बल प्रदान किया। इसने अपने सदस्यों के मध्य अत्यधिक सहयोग की स्थापना की।[7]
- इतिहास में पहली बार पश्चिमी यूरोप की शक्तियों ने अपनी कुछ सेनाओं को स्थायी रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य संगठन की अधीनता में रखना स्वीकार किया।
- द्वितीय महायुद्ध से जीर्ण-शीर्ण यूरोपीय देशों को सैन्य सुरक्षा का आश्वासन देकर अमेरिका ने इसे दोनों देशों को ऐसा सुरक्षा क्षेत्र प्रदान किया जिसके नीचे वे निर्भय होकर अपने आर्थिक व सैन्य विकास कार्यक्रम पूरा कर सके।
- नाटो के गठन से अमेरिकी पृथकक्करण की नीति की समाप्ति हुई और अब वह यूरोपीय मुद्दों से तटस्थ नहीं रह सकता था।
- नाटो के गठन ने शीतयुद्ध को बढ़ावा दिया। सोवियत संघ ने इसे साम्यवाद के विरोध में देखा और प्रत्युत्तर में वारसा पैक्ट नामक सैन्य संगठन कर पूर्वी यूरोपीय देशों में अपना प्रभाव जमाने की कोशिश की।
- नाटो ने अमेरिकी विदेश नीति को भी प्रभावित किया। उसकी वैदशिक नीति के खिलाफ किसी भी तरह के वाद-प्रतिवाद को सुनने के लिए तैयार नहीं रही और नाटो के माध्यम से अमेरिका का यूरोप में अत्यधिक हस्तक्षेप बढ़ा।
- यूरोप में अमेरिका के अत्यधिक हस्तक्षेप ने यूरोपीय देशों को यह सोचने के लिए बाध्य किया कि यूरोप की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान यूरोपीय दृष्टिकोण से हल किया जाना चाहिए। इस दृष्टिकोण ने “यूरोपीय समुदाय” के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।
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