उत्तर प्रदेश का आधुनिक इतिहास 1857 का स्वतंत्रता संग्राम से शुरू होता है और उत्तर प्रदेश की अब तक सभी घटनाओं का वर्णन इसी पर आधारित है और हमें उत्तर प्रदेश की आधुनिकता का प्रचार प्रसार के लिए अग्रसरित करती है|
उत्तर प्रदेश का आधुनिक इतिहास | Modern History of Uttar Pradesh
1857 का स्वतंत्रता संग्राम और उत्तर प्रदेश
- कलकत्ता के निकट स्थित बैरकपुर की 34वीं देशी सैनिक छावनी के मंगल पांडे (उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी) ने 29 मार्च, 1857 ई. को खुला विद्रोह कर लेफ्टिनेंट हेनरी बाग पर गोली चला दी। मंगल पांडे को 8 अप्रैल, 1857 ई. को बैरकपुर में फांसी पर चढ़ा दिया गया।
- 24 अप्रैल, 1857 ई. को मेरठ की देशी सेना नए कारतूसों को छूने से मना कर दिया जिससे क्रुद्ध अधिकारियों ने 9 मई, 1857 ई. को सैनिकों की वर्दी उतरवा ली. परिणामस्वरूप 10 मई. छावनी के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया|
- 1857 ई. के इस विद्रोह से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र अवध और बुंदेलखण्ड थे|
- 1857 के विद्रोह ने शीघ्र ही अलीगढ़, बरेली, लखनऊ, कानपुर इलाहबाद आदि को स्वतंत्र कराने के बाद विद्रोही सैनिकों एवं जमींदारों ने वहां अपनी सरकारें स्थापित कर ली थीं।
- 1857 ई. विद्रोह का विस्तार इटावा, मैनपुरी, एटा, मथुरा, शाहजहांपुर, बदायूं, आजमगढ़, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बारांबकी, वाराणसी, फैजाबाद फतेहपुर, हाथरस आदि छोटे-छोटे नगरों एवं कस्बों तक भी हो गया था।
- अवध की बेगम हजरत महल ने लखनऊ में विद्रोह का नेतृत्व किया। बेगम ने अपने अल्पव्यस्क पुत्र बिरजिस कादिर को अवध का नवाब बना दिया।
- 1857 ई. के विद्रोह के महान योद्धा तात्या टोपे (मूल नाम-रामचंद्र) ने अपनी ‘गनीमी कावा रणनीति’ (छापामार रणनीति) से अंग्रेजों को भयभीत कर दिया था।
- 7 अप्रैल, 1859 को तात्या टोपे को गिरफ्तार करके, उन पर शिवपुरी के सैनिक न्यायालय में मुकदमा चलाकर 18 अप्रैल, 1859 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया था।
- जून, 1858 में संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में विद्रोह पूरी तरह से समाप्त हो गया।
- 1 नवंबर 1858 को इलाहाबाद में लॉर्ड कैनिंग ने महारानी विक्टोरिया का घोषणापत्र पढ़कर सुनाया।
- 1858 ई. में दिल्ली डिवीजन को उत्तर-पश्चिमी प्रदेश से अलग कर दिया गया तथा प्रदेश की राजधानी को आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश के आधुनिक काल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु :
- 1861 में शिव दयाल साहब ने आगरा में राधास्वामी सत्संग की स्थापना की थी।
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी।
- भारतेंदु हरिशचन्द्र ने वाराणसी से कवि वचन सुधा (1867) तथा हरिशचन्द्र मैगजीन (1872) का प्रकाशन किया था।
- अलीगढ़ में सर सैयद अहमद खां द्वारा 1875 ई. में स्थापित मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल विद्यालय’ का वर्तमान नाम ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ है।
- सर सैयद अहमद खां ने मुसलमानों की स्थिति सुधारने के लिए ‘अलीगढ़ आंदोलन’ चलाया था।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उत्तर प्रदेश में सन् 1947 तक कुल 9 अधिवेशन हुए थे।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक तीन-तीन बार अधिवेशन इलाहाबाद एवं लखनऊ हुए। इलाहाबाद (1888VE अध्यक्ष जार्ज यूल 1892 ई., अध्यक्ष – डब्ल्यू. सी. बनर्जी 1910 ई. अध्यक्ष सर विलियम वेडरबर्न). लखनऊ (1899 ई.. अध्यक्ष रमेश चंद्र दत्त, 1916 ई. अध्यक्ष अंबिका चरण मजूमदार, 1936 ई., अध्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू)।
- इलाहाबाद एवं लखनऊ के अतिरिक्त तीन अन्य शहरों (उत्तर प्रदेश के) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन हुए थे। 1905 में बनारस (अध्यक्ष- गोपाल कृष्ण गोखले), 1925 में कानपुर (अध्यक्ष- श्रीमती सरोजिनी नायडू ) तथा 1946 में मेरठ (अध्यक्ष- आचार्य जे. बी. कृपलानी) में।
- 1916 ई. में कांग्रेस और मुस्लिम लीग का अधिवेशन एक साथ लखनऊ में सम्पन्न हुआ था। इसी सम्मेलन में प्रसिद्ध ‘कांग्रेस-लीग समझौता हुआ था। कांग्रेस के इस अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार ने की थी।
- नवंबर, 1928 में ‘साइमन कमीशन’ का लखनऊ में बहिष्कार किया गया था। इसका नेतृत्व पं. जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
- 1918 में गौरीशंकर मिश्र इंद्रनारायण द्विवेदी तथा मानवीय ने किसानसभा का गठन किया था।
- सन् 1923 में चितरंजन दास एवं नेहरू ने इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की थी|
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रथम सम्मलेन पेरियार की अध्यक्षता में कानपुर में हुआ था।
- संयुक्त प्रांत में लखनऊ के समीपवर्ती क्षेत्र में सन् 1920-22 के मध्य किसानों के बीच चले ‘एका आंदोलन’ का नेतृत्व मदारी सी नामक किसान ने किया था।
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधीजी को पूना के आगा खां महल में तथा जवाहरलाल नेहरू को इलाहाबाद की नैनी सेंट्रल जेल में बंदी बनाकर रखा गया था।
- 16 अगस्त, 1942 से संयुक्त प्रांत के बलिया में भारत छोड़ों आंदोलन के पक्ष में प्रबल जन संघर्ष छिड़ गया। परिणामस्वरूप चित्तू पांडेय के नेतृत्व में बलिया में एक ‘राष्ट्रीय सरकार’ का गठन किया गया।
उत्तर प्रदेश का आधुनिक इतिहास : उत्तर प्रदेश का आधुनिक इतिहास : उत्तर प्रदेश का आधुनिक इतिहास
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